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Tuesday, December 29, 2020

एक जमीन से उठे और प्रतिभाशाली नेता और बैंकिंग इंडस्ट्री के नेताओ में क्या फर्क है ।।

 "नेता"

इतने पोस्ट हो गए पर अभी तक नेता नगरी कि व्याख्या नही हुई, अब नेता की परिभाषा भी समझानी पड़ेगी ... वैसे मेरी उन नेताओं से विशेष गुजारिश है जो बिना वोटिंग के नेता बने है वो लोग मेरे पूरे पोस्ट को पूरा पढ़े जरूर ...

नेता शब्द क्या है, कहाँ से आया इसका मुझे ज्यादा पता नही पर नेता अपने आप मे एक विस्तृत भंडार है ज्ञान का, विज्ञान का और हर उस क्षेत्र का जहाँ पर वो लीड करता है

असल मे नेता शब्द को अगर पथप्रदर्शक कहा जाए तो समझने में ज्यादा आसानी होगी ।।

पथप्रदर्शक, लीडर, मार्गदरसक आदि उसके उपनाम है और ये नाम ही नेता की सही व्याख्या करते है पर दुर्भाग्यवश इन टाइटल्स को आगे नही लाया गया और बस साहित्य के किसी पन्नो में दबा कर रख दिया गया ।।

आज की तारीख में नेता हम उसको मानते है, जिसके पास ताकत हो, जिसके पास इफरात पैसा हो, जिसके पास बहुमत हो अब वो चाहे पैसे से आई हो ।

पर असली नेता वो होता है जो 100 लोगो की भीड़ में आपका प्रतिनिधित्व करता है, आप की बातों को तार्किक रूप से आपके बॉस, आपके विरोधियों को उनमे परास्त करता है, नेता कोई जन्मजात नही होता है ना ही नेतागिरी पैतृक हो सकती है ।

नेता का IQ लेवल इसीलिए 130 मापा गया है क्योंकि वो अन्य लोगो से थोड़ा सा ज्यादा काबिल होता है, वो दूरदर्शी होता है उसे सामान्य ज्ञान की अच्छी जानकारी होती है, उसे अच्छे बुरे की समझ भी होती है और वो जरूरत पड़ने पर अपने तर्कों के माध्यम से उसे सिद्ध भी करता है ।।

प्राचीन काल से ही नेता नगरी वाली प्रथा चली आ रही है पर फर्क ये है कि उस समय इनको पंडित कहा जाता था, चाणक्य सबसे शशक्त उदाहरण है, राजा कितना भी ताकतवर होता था लेकिन बिना नेता सॉरी पंडित, आचार्य,अपने गुरु की आज्ञा के बिना कार्य नहीं करता था, और उनके मास्टर प्लान के हिसाब से काम करने के बाद सफलता उस राजा को जरूर मिलती थी । उस समय एक ज्ञानी पंडित भी अपने ज्ञान विवेक के बल पर एक ताक़तवर राजा को अपने काबू में रखता था ।।

इतिहास गवाह है जिन ताकतवर लोगो ने उस समय नेतागिरी भी करनी शुरू कर दी और अपने गुरुओ से ज्यादा ज्ञानी बनने लगें वो सब इतिहास के पन्नो में कही दब गए

अब आते है व्यवहारिक जीवन मे, हर एक आदमी नेता है जो गलत का विरोध करता है,
एक घर मे पिता परिवार के सभी सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है वो घर का नेता हुआ
स्कूल में टीचर और क्लास में मॉनिटर नेता है क्योंकि उसमें कुछ ना कुछ विशेस है और जिन्होंने जिम्मेदारी दी है उन्हें विश्वास है कि वो खड़ा उतरेंगे उस पर

यहाँ तक ये बात तो समझ मे आ गयी कि नेता एक ऐसा व्यक्ति होता हैं जो पूरे समूह का प्रतिनिधित्व करता है और वो समूह सर्वसम्मिति से उसे नेता घोषित करके उसे सारे अधिकार देते है कि जाओ आप और हमारी तरफ से बात करो ।। आजकल वोटिंग के माध्यम से पता लगाया जाता है की किसको कितना समर्थन है और अधिकतम वोट पाने वाले को नेता घोषित कर दिया जाता है

हमारे बैंकिंग समाज मे भी नेतागिरी चल रही पर अफसोस ये है कि आज तक हमे पता ही नही की नेता कौन है और अगर ये है तो क्या विशेष है इनमे ।।
एक साधारण सा मेंबर इस अदने से प्रश्न का उत्तर पूछने के लिए कई मौके ढूंढता है पर या तो उसकी मुलाकात नहीं हो पाती या वो वहा तक पहुँच ही नही पाता ।।। इतना हताश होने औऱ अपने प्रश्नों का उत्तर ना मिलने के बावजूद भी वो हर महीने यूनियन फी जमा करता है इसी उम्मीद से की अगली बार जब ये नेता वोट मांगने आएंगे तो अपने प्रश्नों का उत्तर वहाँ पर मांगेगा ।। पर अफसोस कि वो वोटिंग का इंतजार ही करता रहा जाता है और उधर नेता बिना इलेक्शन के नेता बन जाते है और हमारे ही पैसो से हमारे साथ विस्वासघाट करते हैं और भरे बाजार में उसकी नीलामी करता है ।।

ये कैसी नेतागिरी की पैसा हमसे लो और गुलामी मैनेजमेंट की करो , एक स्टाफ की कोई दिक्कत हो तो पहले इन तक बात पहुचाना मुश्किल और उसके बाद ये बोलेंगे की तुम यहाँ के मेम्बर, तुम वहाँ के मेम्बर, तुम उनसे बात करो, तुमने हिम्मत कैसे करी

मतलब ये दो कौड़ी के बिना मेजोरिटी वाले मौकापरस्त नेता आपको जब सबसे ज्यादा जरूरत होती है उस समय ये धोखा देते हैं क्योंकि धोखा देना इनके DNA में है, ये अपने घर परिवार समाज सब को धोखा दे रहे है और बहुत बड़े नेता हैं इसका ढोंग कर रहे है ...

नेतागिरी वाला काम करो तब ही ये 10 लाख मेंबर्स मानेगे वरना मर तो रहे ही है पर तुम भी खुश ना रह पाओगे ये श्राप वो तुमको देकर ही यमराज के पास जाएंगे ।।।



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