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Tuesday, December 29, 2020

किसानों की ऋण माफी के लिए इनकम टैक्स में 80 D का एक अलग कॉलम होना चाहिए ।।

 "किसानों की ऋण माफी"



तो क्यो ना बैंक के NPA हुए ऋण की भरपाई के लिए कानून में 80 D की तरह ही NPA डोनेशन जैसा कुछ लाया जाए और जो भी इनकम टैक्स में बचत चाहते हो इसमे पैसा डालकर इनकम टैक्स में छुट के साथ देशहित में योगदान करे ।।

आजकल मार्किट में जिधर जाओ बस किसानों के ऋण माफी की ही चर्चा चल रही है, जो भी सरकार सत्ता मे है या आने को लालायित है वो 70% जो किसान की श्रेणी या उससे कही ना कहीं संबंधित है उस वोट बैंक के लिए किसानों के ऋणं माफी का खेल खेलती है ।।

आपको शायद पता होगा दुनिया मे अगर कोई सबसे सस्ता ऋण है तो वो एग्रीकल्चर लोन होता है और उसमें भी भारतीय सरकारी बैंक सबसे सस्ता ऋण देते है किसानों को, यहाँ सरकारी बैंक पर ज़्यादा ध्यान दीजिए प्राइवेट बैंक के बारे में तो आपको पता ही है

एग्रीकल्चर लोन किसान को फसल उगाने , बीज खरीदने  आदि के लिए दिया जाता है और जब फसल के पैसे मिल जाये तो लोन का पैसा चुकता कर दो वो भी मामूली ब्याज पर , अगर आप बैंकर है तो बताने की जरूरत नही और नॉन बैंकर बस इतना समझ लो कि जितना एक महीने में पेट्रोल बढ़ता है उससे कही कम पूरे साल का ब्याज होता है ।

अब बताओ भला उसके लिए भी ऋण माफी, उसके लिए भी बैंको पर दबाव, उसके लिए भी रिकवरी करने गए लोगो से अभद्र व्यवहार मार पीट

बैंक एक प्रॉफिटेबल संस्था है जो अपने कर्मचारियों का वेतन प्रॉफिट से ही निकालता है, उसका काम लोन देना और उस पर ब्याज लेना है, यही बैंक का काम भी है जो विश्व की सभी बैंक करती है, जब विश्व की सारी बैंक ऋण पर ब्याज लेती है तो भारतीय सरकारी बैंक वो भी सबसे कम ब्याज जब ले रही है तो उस पर ये ऋण माफी का ड्रामा क्यो ...
क्यो एक किसान को ये आस्वासन दिया जा रहा है ऋण ले लो लेकिन चुकाने की जरूरत नही ... अरे बुद्धिजीवियो आप बस इतना बता दो जब पहले के ऋण का पैसा आएगा नही तो अगला ऋण कैसे दिया जाएगा ।।

अब बुद्धिजीवी बोलेंगे उसको NPA में डाल दो क्योकि वो एक किसान कम और एक वोट बैंक ज्यादा है सरकार की नजरों में ,
 तो भैया ऋण दिलवाया आपने,
 माफ करवाया आपने,
 NPA करवाया आपने
तो इसमें बैंक के कर्मचारियों की क्या गलती है , बैंक प्रबंधन से भी मेरा सवाल है जब सरकार ने ऐलान कर दिया कि ऋण माफ तो कर्मचारी के ऊपर रिकवरी का दबाव क्यो डालते हो, क्यो नही नए ऋण की स्वीकृति तब तक के लिए बंद कर दो जब तक सरकार उस NPA की भरपाई ना कर दे ,

मतलब पैसा बैंक का डूबे और वाहवाही कोई और लूट जाए और बैंक प्रबंधन उपर बैठ कर बस तमाशा देखे,

चलो इसमे भी कोई दिक्कत नहीं पर इन सबके बावजूद कर्मचारियों पर दबाव डालकर उन्हें आत्म हत्या जैसे जघन्य अपराध करने के लिए मजबूर करना ये कहा तक न्यायोचित है ।

कुल मिला कर निष्कर्ष ये निकलता है एक बैंक कृषि ऋण कम ब्याज दर पर देशहित में देता है
और हमारे नेता और बुद्धिजीवी कृषि ऋण किसानों का देशहित में माफ करने की घोषणा करते है

तो क्यो ना बैंक के NPA हुए ऋण की भरपाई के लिए कानून में 80 D की तरह ही NPA डोनेशन जैसा कुछ लाया जाए और जो भी इनकम टैक्स में बचत चाहते हो इसमे पैसा डालकर इनकम टैक्स में छुट के साथ देशहित में योगदान करे ।।

देशहित ही करना है तो सब आओ ना लाइन में, क्यो एक बेचारे बैंकर को ही NPA का राक्षस दिखा कर उसे भष्म किये जा रहे हो ।।

अगर एक ट्रस्ट को ,एक साधु को पैसा देने पर इनकम टैक्स में छूट मिलती है तो किसानों के ऋण को छूट देने के बाद उसकी भरपाई करने वालो को इनकम टैक्स में छूट क्यो नही मिल सकती ??

अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं ।।


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