We Bankers के संस्थापक श्री कमलेश चतुर्वेदी जी ने जीती 7 साल बाद पेंशन की लड़ाई - We Bankers

Breaking

We Bankers

Banking Revolution in india

Thursday, June 22, 2023

We Bankers के संस्थापक श्री कमलेश चतुर्वेदी जी ने जीती 7 साल बाद पेंशन की लड़ाई


 18 अप्रैल को एक ओर जहां देश भर के बैंक कर्मी अपने महबूब नेता स्वर्गीय एच एल परवाना की पुण्य तिथि पर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे वहीं दूसरी ओर देश की सबसे बड़ी अदालत उच्चतम न्यायालय में स्वर्गीय परवाना के पद चिन्हों पर चलते हुए वी बैंकर्स के रण बांकुरों का सीना गर्व से चौड़ा करते हुए वी बैंकर्स के संरक्षक और राष्ट्रीय संयोजक कमलेश चतुर्वेदी (दादा) खुद पैरवी करते हुए संघर्ष की गौरव गाथा लिख रहे थे। 


उल्लेखनीय है कि 18 मार्च 2016 को पंजाब नैशनल बैंक के अंशकालीन सफाई कर्मियों को पूरे वेतन पर सब स्टाफ के रूप में समायोजित करने और सब स्टाफ की नियुक्ति सीधे एमप्लॉयमेंट एक्सचेंज से करते हुए अस्थाई कर्मियों को नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ बैंक कर्मियों ने बैंक के मंडल कार्यालय कानपुर पर जोरदार प्रदर्शन किया था जिसका नेतृत्व दादा ने किया था। प्रदर्शन के दौरान मैनेजमेंट और बैंक की बहुमत प्राप्त अधिकारी और कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने  पूर्व निर्धारित षड्यंत्र के तहत प्रदर्शन में बाधा डाली और प्रदर्शनकारियों से भिड़ गए। इन नेताओं ने शाखा न खोलने की धमकी देते हुए कमलेश चतुर्वेदी के खिलाफ कार्यवाही की मांग की जिस पर मैनेजमेंट ने कमलेश चतुर्वेदी और यूनियन के अन्य दो पदाधिकारियों सर्वश्री सुशील चक और आशुतोष श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया। इसके बाद जांच कार्यवाही के नाटक का मंचन किया गया और सेवा निवृत्ति से एक दिन पूर्व दादा को बैंक की नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। 

अब क्योंकि यह बर्खास्तगी सारे कायदे कानून ताक पर रख कर की गई थी, भारत सरकार ने मामले को न्याय निर्णय हेतु औद्योगिक न्यायाधिकरण कानपुर को भेजा जिस पर 12 जुलाई 2021 को औद्योगिक न्यायाधिकरण ने बर्खास्तगी को अवैध करार देते हुए कमलेश चतुर्वेदी को कभी निलंबित और बर्खास्त न मानते हुए नौकरी पर बहाली के आदेश जारी किए। 

बैंक प्रबंधन ने औद्योगिक न्यायाधिकरण के आदेश को ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अशोक खरे के माध्यम से चुनौती दी वहीं दादा की तरफ से श्री आशुतोष शर्मा और इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे वरिष्ठ अधिकवक्ता श्री राकेश पांडेय ने बहस की और 26 जुलाई 2022 को उच्च न्यायालय ने बैंक की दलीलों को अस्वीकार करते हुए बैंक की याचिका खारिज कर दी। इसके बाद बैंक द्वारा पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई जिसे 6 सितंबर 2022 को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। 

इधर क्षेत्रीय श्रमायुक्त (लखनऊ) ने औद्योगिक न्यायाधिकरण के आदेश के क्रियान्वन की कार्यवाही करते हुए पेंशन की बकाया रकम का भुगतान किए जाने के आदेश जारी किए और बैंक द्वारा भुगतान न किए जाने पर जिलाधिकारी (लखनऊ) से रकम की वसूली किए जाने का अनुरोध किया। तहसीलदार सदर लखनऊ द्वारा वसूली के लिए किए गए प्रयास जब असफल हो गए तब जिलाधिकारी लखनऊ द्वारा बैंक की अचल संपत्ति कुर्क किए जाने के आदेश पारित कर दिए। 

इस आदेश से घबराए मैनेजमेंट ने देश के महान्यायाभिकर्ता श्री तुषार मेहता के जरिए उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की और वसूली और कुर्की के आदेश के खिलाफ 13 दिसंबर 2022 को स्थगनादेश प्राप्त कर लिया। 

अब संघर्ष दिए और तूफान के मध्य था, एक तरफ खुद पैरवी कर रहे कमलेश चतुर्वेदी थे वही दूसरी तरफ प्रख्यात कानूनविद देश के महान्यायाभिकर्ता श्री तुषार मेहता यानि बकरी के खिलाफ शेर। 18 अप्रैल को सुनवाई के दौरान मैडम शिल्पा सिंह जिन्होंने स्वर्गीय एस के कूल के मामले में अनिवार्य सेवा निवृत्त कर्मचारियों को न्याय दिलवाया था, स्वतः वरिष्ठ अधिवक्ता श्री त्रिपुरारी रॉय के साथ मदद के लिए आगे आ गईं और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद उच्चतम न्यायालय ने बैंक की याचिका खारिज कर दी। 


उच्चतम न्यायालय से याचिका खारिज होते ही जिलाधिकारी (लखनऊ) द्वारा पंजाब नैशनल बैंक के प्रबंधन से जबरन वसूली की गई कार्यवाही की गई और इस रकम को लखनऊ के क्षेत्रीय श्रमायुक्त श्री राजीव रंजन के पास जमा करवाया गया। आज दो जून को दादा ने रुपए 36,73,937.49 की राशि उपमुख्य श्रमायुक्त (केंद्रीय) श्री के शेखर से प्राप्त की। 

इस तरह संघर्ष, अनवरत संघर्ष, उद्देश्यों की प्राप्ति तक संघर्ष के प्रणेता हम सबके दादा कमलेश चतुर्वेदी ने लगभग 7 साल तक चले संघर्ष में एक विजेता के रूप में उभरते हुए हम सब वी बैंकर्स के लोगों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया।


close