हाल ही में दैनिक भास्कर में एक आर्टिकल छपा जिनमे हैकर्स यदि किसी के खाते से रुपये गायब कर दे तो बैंक जिम्मेदार , इस तरह की खबरे सोशल मीडिया पर बहुत तेज वायरल होती है पर वास्तविकता से जिसका कोई लेना देना नही है ।।
हमारा सवाल है यदि हैकर्स बैंककर्मचारी के सामने ही लाइन में खड़े ग्राहक के एकाउंट को खाली कर दे तो क्या बैंककर्मचारी के पास उसे रोकने का कोई तरीका है , क्या बैंककर्मचारी को एक्सेस दिया गया है जिससे बैंककर्मचारी किस एकाउंट में हैकर्स ने पैसा डाला ये पता लगा सके और उसे रिटर्न्स करा सके ।। जब वर्तमान में ऐसा संभव नही है तो फिर ऐसी खबरों का क्या मतलब ।।
हैकिंग तो बड़ी चीज है उदाहरण के लिए यदि गलती से किसी बैंककर्मचारी ने गलत NEFT/RTGS कर दिया हो तो क्या बिना उस ब्रांच से कांटेक्ट किये रिवर्स करने का ऑप्शन है , आपका जवाब होगा नही जो कि सही है पर आप बताइये क्यो नही गलत neft/rtgs का रिवर्स करने का ऑप्शन होना चाहिये ।।
आज एक बैंककर्मचारी बहुत से काम एक साथ कर रहा है जिसमे NEFT/RTGS में गलती होना स्वाभाविक है पर न तो टॉप लेवल मैनेजमेंट द्वारा न ही कोई ऐसा पोर्टल बना है सभी बैंको का जिसमे रिक्वेस्ट डाल कर गलत neft/rtgs को होल्ड करने के साथ पैसा रिटर्न्स कराया जा सके ।।
यदि गलत एकाउंट में जो पैसा गया ग्राहक सही है तो पैसा नही निकालेगा और आराम से लौटा देगा कांटेक्ट नंबर खोज के निकालने पर , लेकिन बेईमान हुआ तो डिजिटल बैंकिंग के जमाने मे पूरा पैसा गायब कर देगा ।।
एक बैंककर्मचारी जो एक साथ कई काम कर रहा है ऐसी गलती होने पर उच्च अधिकारियों को बता भी नही सकता क्योकि उसे डर है पैसा तो मिलेगा नही उल्टा एक्सप्लेनेशन कॉल और मेमो देकर बैंककर्मचारी के एकाउंट से ही रिकवरी कर देंगे , शायद इसी लिए ऐसी कंडीशन पर खुद बैंककर्मचारी व्यक्तिगत रूप से पैसा वापस करवाने की कोशिश करता है जिसमे ज्यादातर केस में उसे असफलता लगती है और अपने पास से पैसा जमा करना होता है ।।
अब मुद्दे पर आइए जिसमे जब एक बैंककर्मचारी गलत rtgs जिसमे एकाउंट नंबर पता है बैंक पता है, IFSC पता है फिर भी पैसा गलत डालने के बाद होल्ड नही करवा पाता
तो भला ग्राहक का पैसा यदि हैकर्स गायब कर दे तो कैसे एक बैंककर्मचारी पता लगाएगा , जब उसके पास पावर ही नही तो ऐसी न्यूज़ का मतलब क्या है , जब उसके सिस्टम में दूसरे बैंक के ग्राहक की डिटेल्स खुलती नही तो क्यो ऑनलाइन फ्रॉड होने पर ग्राहक को बैंक की शाखा में भेजा जाता है
जब किसी भी बैंक की शाखा में एक भी पोस्ट डिजिटल बैंकिंग ऑफिसर का नही तो क्यो ग्राहको को कस्टमर केअर ब्रांच में संपर्क करने के लिए भेजते है ।।
एक हैकर ऑनलाइन के माध्यम से ग्राहक की गलती से पैसा निकाल लेता है जिसमे कई बार खुद बैंककर्मचारी भी फस जाते है , जरूरत है ग्राहको के साथ बैंककर्मचारीयो को भी ऑनलाइन फ्रॉड के बारे में जानकारी देना न कि हर ऑनलाइन फ्रॉड में बैंककर्मचारी या बैंक को ही दोषी मान लेना ।।