11th BPS के बद से बदतर होने के पीछे के कारण ।। सबसे कम वेतन वाला विभाग बना बैंक ।। - We Bankers

Breaking

We Bankers

Banking Revolution in india

Sunday, November 1, 2020

11th BPS के बद से बदतर होने के पीछे के कारण ।। सबसे कम वेतन वाला विभाग बना बैंक ।।

प्रधानमन्त्री जी ने बैंक कर्मियों की मुक्तकंठ से प्रशंसा की, सरकार की योजनाओं की सफलता के लिए बैंक कर्मियों की निष्ठा और सपर्पण को सराहा । अब बारी थी देश की वित्त मंत्री मैडम निर्मला सीतारमण की - उन्होंने न केवल मौजूदा बैंक कर्मियों के वेतन की चर्चा की बल्कि सेवानिवृत्त बैंक कर्मियों की पेंसन की ख़ामियों की चर्चा की । उन्होंने बताया -“Today I had a meeting with Sri Raj Kiran Rai of IBA” । प्रधानमन्त्री जी द्वारा की गई तारीफ़ और वित्तमन्त्री जी द्वारा बैंक कर्मियों की वेतन और पेंसन के मामले में दयनीय स्थिति की चर्चा ने निराशा और हताशा से घिरे बैंक कर्मियों में आशा का संचार किया, उनमें एक उम्मीद की किरण जगाई । 

फिर आज बैंक कर्मियों के कर्मकार संघठनों के वर्किंग ग्रूप की बैठक हुई - प्रधानमन्त्री जी द्वारा की गयी मुक्तकंठ से प्रशंसा और वित्तमन्त्री महोदया द्वारा व्यक्त की गई सहानुभूति और समर्थन ने बैंक कर्मियों की दृष्टि से आज की बैठक को अतिमहत्वपूर्ण बना दिया । एक नई आशा और उत्साह के साथ वे आज की वार्ता पर टकटकी लगाए रहे । हमेशा की तरह कुछ संदेश वाइरल होने लगे - ऐसे विद्वतापूर्ण संदेशों के कुछ उदाहरण : 


“In today’s meeting with IBA , we reiterated our demand for special Allowance at 20%. IBA increased offer to 17.4%. We did not accept this offer. Next meeting date will be announced soon. Detailed Circular follows.#AIBEA NCBE NOBW INBEF”


*✅11th BPS UN CONFIRMED BREAKING NEWS* from reliable sources

___________________                                  🟡31 OCTOBER 2020

🟢In today's Meeting of workman union with IBA all issues of BPS will be finalised & May be signed Today or by 3rd of November & arrears will be paid before Deepawali.

🔵Pension Updation will

Also be finalised by December 2020.”


*Update on today’s talks*


 11BPS over. Cost sheet likely to be signed within an hour. Wait for further details. 

AIBEA NCBE NOBW INBEF.” 


इसके बाद आज की वार्ता में शामिल चारों संघठनों का सरकुलर भी आ गया । इस सरकुलर में पुनर्निर्धारित वेतनमान बता दिया गया है, महँगाई भत्ते की दर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के 6352 अंकों के ऊपर प्रत्येक चार अंकों की बढ़ोत्तरी पर 0.07% बता दी गई है, स्टैग्नेशन इंकरेमेंट की संख्या अब 9 होगी, मकान किराए भत्ते की दर सभी स्थानों पर एक ही रहेगी, 16.4% की दर से विशेष भत्ते के अतिरिक्त ट्रांसपोर्ट अलाउयन्स पर भी डीए मिलेगा । कहा गया है कि सेटल्मेंट जल्द ही हस्ताक्षरित हो जाएगा इस पर भी सहमति बन गई है । 


अब दिन में जो 17.4% विशेष भत्ते को ठुकराए जाने का संदेश था वह शाम होते होते उसी 16.4% की सहमति में बदल गया जिसे हमारे नेता पिछली वार्ता में ठुकरा आए थे और जिसे अधिकारियों के साथ joint note साइन न हो पाने की वजह बताया गया था । 😀😀 क्या अब भी यह साफ़ नहीं हुआ कि अधिकारियों के साथ Joint Note साइन न हो पाने की वजह अधिकारियों और कर्मचारियों के संघठनों में विशेष भत्ते में वृद्धि की दर को लेकर असहमति न होकर कोई और वजह थी ? वह वजह भला क्या हो सकती है ? इसी तरह नेताओं की हँसते हुए फ़ोटो साझा की गई हैं - जिसमें वे एक पेपर लिए हुए हैं और इस फ़ोटो में केवल नेता हैं आईबीए की तरफ़ से कोई नहीं दिख रहा - मतलब कॉस्ट शीट जिसका ज़िक्र दिन के संदेशों में किया गया शायद वही नेता लोग लिए हैं । किसी ने यह जो पेपर हाथ में लेकर नेता फ़ोटो खिंचवा रहे हैं - देखा है ?😀


हमारे नेता बैंक कर्मियों के परम्परागत स्वभाव को समझने के कुशल पारखी हैं - तभी तो वे किसी भी क़िस्म के विरोध की कोई चिंता नहीं करते । अब जैसे ही नेताओं का सरकुलर आया-बढ़े हुए वेतन की गड़ना किए जाने की होड़ लग गई - जो विद्वान यूटूब पर वीडियो चैनल चला रहे हैं - उन्होंने बाक़ायदा बढ़े हुए वेतन की गड़ना कर डाली है । ये वीडियो सुपरहिट हैं । 😀😀ऐसे किसी विद्वान की कोई पोस्ट या वीडियो देखने को नहीं मिला जिसमें द्विपक्षीय समझौते के हस्ताक्षरित होने के पहले ही यह जो बढ़े हुए वेतन की गड़ना की गई है, उसका केंद्रीय सरकार, आरबीआई, एलआईसी आदि के कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन से तुलना की गई होती और बताया गया होता कि इस सम्भावित समझौते के बाद बैंक कर्मी इन लोगों से और कितना आगे निकल गए हैं जिसके लिए इतने जोश और उत्साह के साथ तुरन्त गड़ना कर डाली गयी ?


अब इस दौरान प्रधानमन्त्री जी की सराहना और वित्तमन्त्री जी की सहानुभूति और समर्थन, जिनका सबसे पहले ज़िक्र किया है, कहाँ चले गए ? क्या आज की वार्ता के ज़रिए जो तताकथित सहमति बतायी गयी है - उसमें प्रधानमन्त्री जी और वित्तमंत्री जी के बयानों का कोई प्रभाव परिलक्षित हो रहा है ? 


कुछ मूर्ख चेन्नई और इलाहाबाद उच्च न्यायालयों में बैंक कर्मियों के हितों से जुड़ी याचिका लगा कर संघर्ष कर रहे हैं -उनकी याचिकाओं का क्या कोई प्रभाव पड़ा है ? भला पिछली बार अधिकारियों के joint नोट पर एकाएक हस्ताक्षर होने से क्यों रह गए ? आज जो दिन में ख़बर प्रकाशित हुई थी कि एक घण्टे में समझौता हस्ताक्षरित हो जाएगा-दीवाली से पूर्व एरियर मिल जाएगा आज सच क्यों नहीं साबित हुआ । जब बेसिक, डीए, एचआरए, स्पेशल अलाउयन्स सब तय हो चुके हैं फिर समझौता हस्ताक्षरित किए जाने के लिए कोई अगली तिथि आज ही निर्धारित क्यों नहीं की गई ? इस पर उन विद्वानों को ज़रूर चिन्तन मनन करके हम लोगों को जानकारी देनी चाहिए जिन्होंने दिन भर उक्त संदेशों को साझा किया है, बढ़े हुए वेतन की गड़ना की है, सुपरहिट वीडियो देखे हैं ।

close