#ShameOnUFBU
#ShameOnIBA
बैंक कर्मचारियों के वेतन समझौते के 3 साल लंबे नाटक के मंचन के बाद क्लर्क की बेसिक तनख्वाह केंद्र व राज्य सरकार के चपरासी से भी कम करवाने की ऐतिसाहिक उपलब्धि हासिल कर सामूहिक सर्कुलर निकाल कर राष्ट्रीय उपलब्धि घोषित करने वाले UFBU के महान नेताओं और ऐसे नेताओ को अंध भक्ति से सपोर्ट करने वालो को भगवान सद्बुद्धि दे।
बैंकिंग इंडस्ट्री के महान नेताओ के द्वारा जारी सम्मिलित सर्कुलर के बाद अब एक नए बैंक क्लर्क की बेसिक सैलरी 17900₹ तय की गई जबकि केंद्र/राज्य सरकार के क्लर्क की बेसिक सैलरी 35400₹ है और केंद्र व राज्य सरकार के अंर्तगत आने वाले चपरासियों की बेसिक सैलरी 18000₹ है , 3 सालो तक बैंकर्स को बेवकूफ बनाने वाले नेताओं के निकाले गए सर्कुलर के हिसाब से बैंक के क्लर्क की बेसिक सैलरी केंद्र व राज्य सरकार के चपरासी से भी अब 100₹ कम है मतलब एक स्नातक पास बैंक क्लर्क की तनख्वाह अब आठवी कक्षा पास से भी कम है और साथ ही बैंक के चपरासी व क्लर्क की बेसिक तनख्वाह में अंतर मात्र 3400₹ का ही
रह गया है और साथ ही बैंक के क्लर्क व अधिकारी जो कि दोनों ही समान शैक्षणिक योग्यता यानी ग्रेजुएट होने पर भी दोनो के बेसिक वेतन में बहुत बड़ा अंतर आ गया है क्योकि बैंक पीओ यानी नए अधिकारी का बेसिक वेतन 36000₹ प्रदर्शित की जा रही है और क्लर्क की बेसिक मात्र 17900₹ यानी समान योग्यता के बाद भी 18100₹ का बड़ा अंतर जबकि केंद्र/राज्य सरकार के अधिकारियों का बेसिक पे 56100₹ से शुरू होती है और बैंक के अधिकारी और केंद्र/राज्य सरकार के अधिकारी की बेसिक तंख्वाह में अंतर 20100₹ का है इसके बाद भी महान नेताओ के द्वारा द्विपक्षीय समझौते के द्वारा बैंकर्स को दिलाये जा रहे दोयम समझौते को सेंट्रल पे कमीशन (CPC) से खराब ही बताया जायेगा जबकि अब हकीकत जनता के सामने है फिर क्या अब महान नेता लोग क्या फिर से नकली अदालत का सेट लगा कर इस खराब समझौते को भी फिर से CPC से अच्छा बतायेगे या फिर बैंक कर्मचारी अपनी एकता दिखा कर ऐसे खराब समझौते के लिए जिम्मेदार लोगों को सबक सिखाएगा।
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