Breaking News - 15 अक्टूबर को बैंककर्मचारियो के पक्ष में हाई कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद ।। वेतन व अन्य मुद्दों पर होने वाली है जोरदार बहस ।। - We Bankers

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Wednesday, October 14, 2020

Breaking News - 15 अक्टूबर को बैंककर्मचारियो के पक्ष में हाई कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद ।। वेतन व अन्य मुद्दों पर होने वाली है जोरदार बहस ।।

15 अक्टूबर को #webankers द्वारा भारत सरकार, आईबीए, समस्त नियोक्ता सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों और यूएफ़बीयू के समस्त घटक संघठनों के ख़िलाफ़ दायर याचिका की सुनवाई होनी है जिसमें उच्च न्यायालय के निर्देश पर भारत सरकार को बताना है कि उसने वी बैंकर्स के वेतन, पेंसन और कार्य दिवस में समता और बराबरी की माँग को लेकर उठाए गए औद्योगिक विवाद पर औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 12(5) के प्रावधानों के अनुकूल अब तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की है ? वी बैंकर्स की याचिका दो नम्बर पर सुनवाई के लिए नियत है यानि जल्दी सुनवाई हो जाएगी । 



वी बैंकर्स की इस याचिका के महत्व को वे सभी लोग जानते हैं जिन्होंने श्रमिक संघ कार्यकर्ता के रूप में काम किया है और औद्योगिक विवाद अधिनियम का साधारण सा भी ज्ञान रखते हैं । यही कारण है कि आईबीए से सबसे अधिक नज़दीकी रखने वाले, आईबीए और यूएफ़बीयू के बीच सेतु की भूमिका अदा करने वाले और पर्दे के पीछे से साँठ गाँठ कर एन वक़्त पर निर्णय बदलवाने की क्षमता रखने वाले बड़े नेताजी ने अपरोक्ष रूप से वी बैंकर्स का ज़िक्र “Inimical forces creating impediments to scuttle the Settlement” के रूप में किया है। क्या वजह है इस तरह के ज़िक्र की ? इसे जानना और समझना ज़रूरी है । 


15 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान दो में से कोई एक बात हो सकती है -(1) भारत सरकार उच्च न्यायालय को सूचित करे कि उसने वी बैंकर्स के औद्योगिक विवाद को राष्ट्रीय न्यायाधिकरण को न्याय निर्णय हेतु सौंपने का निर्णय लिया है अथवा  (२) भारत सरकार कारण सहित बताए कि आख़िर क्यों वह वी बैंकर्स के औद्योगिक विवाद को राष्ट्रीय न्यायाधिकरण को न्याय निर्णय हेतु सौंपना नहीं चाहती । यदि भारत सरकार पहला विकल्प चुनती है तो उसका मतलब होगा भुगतान क्षमता पर आधारित प्रतिशत बढ़ोत्तरी के खेल और मौजूदा व्यवस्था का अंत ।


विश्वस्त सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार आईबीए और यूएफ़बीयू ने सरकार को दूसरा विकल्प चुनने और उच्च न्यायालय को यह सूचित करने के लिए मना लिया है कि   सरकार वी बैंकर्स के औद्योगिक विवाद को राष्ट्रीय न्यायाधिकरण को न्याय निर्णय हेतु सौंपना नहीं चाहती और कारण के रूप में सरकार उच्च न्यायालय में कह सकती है कि 54 साल से एक व्यवस्था चली आ रही है जिसमें वेतन पेंसन का निर्धारण आईबीए और बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच आपसी वार्ता और समझौते के ज़रिए होता है और सरकार इसमें कोई दखलंदाजी नहीं करती है - ऐसे में यदि वी बैंकर्स के औद्योगिक विवाद को राष्ट्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण को सौंपने का निर्णय लेते हैं तो औद्योगिक अशान्ति पैदा हो सकती है । 


वी बैंकर्स ने आईबीए यूएफ़बीयू की रज़ामन्दी से तैयार की गई सरकार की इस दलील से निबटने के लिए पर्याप्त तैयारी की है और ज़ोरदारी के साथ अपने वक़ील के माध्यम से वी बैंकर्स अपना तर्क रखेगा यह अलग बात है कि कोर्ट क्या निर्णय देता है यह तो परसों ही पता चलेगा । 


यह कोई साधारण बात नहीं है सीमित समर्थन, सीमित संशाधन और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वी बैंकर्स ने आईबीए और यूएफ़बीयू में खलबली पैदा की है, वी बैंकर्स के ईमानदारी से भरे प्रयासों की चर्चा देश के कोने कोने में है जिसका प्रमाण देश की सबसे पुरानी यूनियन का सरकुलर है - 15 अक्टूबर को वी बैंकर्स की याचिका की सुनवाई का परिणाम जान लेने के तुरन्त बाद द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर कर त्योहार का बहाना बना इसे तेज़ी से लागू करने की योजना किसी ऐसी सम्भावना को ख़त्म करने की दृष्टि से बनाई गयी है जिसमें वी बैंकर्स इस व्यवस्था को किसी नयी याचिका के ज़रिए चुनौती दे सकता है । 


वी बैंकर्स श्रीमद्भगवद्गीता में गोविन्द के मुखारबिंदु से निकले इन वचनों को मूल मन्त्र मान 15 अक्टूबर की तैयारियों में व्यस्त है - 


कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ २-४७

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