बैंक ऑफ इंडिया में बैंककर्मचारीयो के साथ पेट्रोल का खेल , बढ़ा चढ़ा कर मार्केटिंग करने वालो का हुआ खुलासा ।। - We Bankers

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Saturday, November 13, 2021

बैंक ऑफ इंडिया में बैंककर्मचारीयो के साथ पेट्रोल का खेल , बढ़ा चढ़ा कर मार्केटिंग करने वालो का हुआ खुलासा ।।

 

बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यालय के द्वारा सर्कुलर निकाल कर अवार्ड स्टॉफ के पेट्रोल प्रतिपूर्ति में बढ़ोत्तरी की सूचना जारी की,

सर्कुलर निकलते ही लाल झंडे वाली यूनियन के नेताओ ने इस मौके को बैंक ऑफ इंडिया के अंदर अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए चलाना शुरू किया और खास तौर पर उत्तरप्रदेश के उन ज़ोन में जहाँ उनकी संख्या कहि से भी मेजोरिटी में नही आती है और कहा जाने लगा कि उनकी वजह से ये महान बढोत्तरी हुई है इसी महान कार्य का ब्योरा देंने इनके कई नेता उत्तरप्रदेश की धरती पर अपनी जमीनी हकीकत के दायरे को बढ़ाने के लिए मीटिंग का आयोजन करवा रहे है जिसके लिए कायदे से मेंबर्स की जरूरत होती है जो आये अपनी यूनियन को सुने पर इतने सालों में मेंबर्स भी नेता जी को समझ गया है कि ये वही नेता है जिन्होंने लेवी मांगने के लिए चरस बो दी थी और पैसे की इतनी कमी पड़ी थी नेता जी को हर मेंबर्स से अपने अपने HRMS से लेवी को देने वाली व्यवस्था पर जा कर फ़ोटो भेजने का दबाव बना रहे थे और साथियो याद दिला दे कि लेवी जबरजस्ती न ली जा सके इसके लिए ही वी बैंकर्स के द्वारा बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यपालक व प्रबंध निदेशक को पत्र लिख कर इस असंवैधानिक कार्य को रोकने की मांग की गयी थी जिस पर तत्काल कार्य करते हुए बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा लेवी देने या न देने की सुविधा HRMS पर हर कर्मचारियों के लिए प्रदान कर दी थी, जिस पर इन सभी यूनियनों के बिना मेहनत के ऐशो आराम के मिलने पैसे पर वी बैंकर्स ने ग्रहण लगा दिया, लाल झंडे वाली यूनियन हर प्रदर्शन पर यूपीबीयू पर निर्भर रहते है आज तक अकेले दम पर प्रबंधन के खिलाफ एक भी बड़ा प्रदर्शन न कर पाने वाली यूनियन अपने बड़े नेता के आगमन पर उनको भीड़ दिखाने के लिए जो लोग मेंबर भी नही है उनको बुला रही है और कहा जा रहा है कि ये बैंक के सभी अवार्ड स्टॉफ की मीटिंग है जबकि हकीकत ये है कि मीटिंग सिर्फ एक यूनियन की है और तो और लोगो को भोजन आदि के प्रलोभन को भी दिखा कर बुलाने के सब हथकंडे अपनाये जा रहे है क्योकि अगर जितनी भीड़ हर प्रदर्शन और मीटिंग में होती है उतनी ही हुई तो नेता जी को कानपुर की धरती की हकीकत पता चल जायेगी खैर छोड़िए ये हकीकत थी जो बतानी जरूरी थी कि यूनियनों का स्तर कहा से कहा पर आ गया है।


अब चर्चा करते है पेट्रोल की प्रतिपूर्ति को लेकर क्योकी जितना ज्वलनशील पेट्रोल है उतना ही ज्वलंत ये मुद्दा है क्योकि हर यूनियन इस विषय को अपना बना कर पेश करती है, सबसे पहली बात बैंक के द्वारा पेट्रोल प्रतिपूर्ति के लिए जो सर्कुलर जारी किया गया उसमें किसी भी यूनियन/फेडरेशन के नाम का जिक्र नही है उसमें सीधे सीधे बोर्ड मीटिंग का जिक्र है उक्त बोर्ड मीटिंग की पूरी डिटेल आप सबको जल्द ही उपलब्ध कराई जायेगी जिसकी प्रक्रिया जारी है, पर अब मुद्दा ये है कि जितना पेट्रोल बढ़ा है क्या वो काफी है?


अन्य बैंको के द्वारा अवार्ड स्टॉफ को मिलने वाली सुविधाओं के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन से आपको ज्ञात होगा कि अभी भी आप बहुत पीछे है 


*SBI*

Chief Associate -43 Lit.

Special Assistant -35 Lit.

Sub Staff - 13/15/17 Lit.

(As Per Catagory) 


*PNB*


Special Assistant - 25 Lit.

Clerk - 19 Lit.

Sub Staff- 12 Lit.



*INDIAN Bank*


1000 Rs. Fix 



*Union Bank*


Special Assistant - 24 Lit.

Clerk - 19 Lit.

Sub Staff- 15 Lit.



इसके साथ ही साथ *बैंक ऑफ महाराष्ट्र* जैसी बैंक Curtain Facility के मद में क्लर्क को 3000₹ और सब स्टॉफ 2000₹ देती है, Furniture Fixture के मद में सब स्टॉफ को 50,000₹ और क्लर्क को 1,00,000₹ की व्यवस्था है इसके साथ ही साथ *बैंक ऑफ बड़ौदा* अपने स्टॉफ को *4500₹ वार्षिक* Cooking Gas का और *750₹ मासिक* कैंटीन सुविधा के मद में प्रतिपूर्ति करती है।


दुनिया के मजदूरों एक हो का नारा देने वालों को ये अलग अलग व्यवस्था क्यो नही दिखाई देती, जबकी सारी बैंको में खुद की मेजोरिटी को सिर्फ चिल्ला कर बताने से और इसे मेम्बरशिप के लिए उपयोग करने का एक साधन मात्र है अगर सच मे बैंक कर्मियों के नेता होते तो वर्तमान और रिटायर्ड बैंक कर्मचारियों को ये दिन न देखने पड़ते,


बैंक ऑफ इंडिया में पेट्रोल बढ़ोत्तरी में भी खेल हुआ है पहले पेट्रोल मिलता था कुल 3 कैटेगरी में स्पेशल असिस्टेंट  , क्लर्क, सब स्टॉफ अब बहुत बढिया तरीके से खेल करते हुए एक नई कैटेगरी बढ़ाई गई है हेड कैशियर की अब ये क्यो किया गया इसको समझना जरूरी है -

बैंक की कुल शाखाये है लगभग 5800 जिसमे से लगभग 59 ज़ोन है,

और बैंक का एक समझौता है जिसके अनुसार पूरे देश भर में बैंक ऑफ इंडिया में 1200 ही स्पेशल असिस्टेंट हो सकते है और वर्तमान की दिशा व दशा को देखते हुए सब जानते है कि कितने पद ही भरे होंगे देश भर में क्योकि अभी कानपुर अंचल में ही हेड कैशियर और SA की पोस्ट भरवाने के लिए वी बैंकर्स ने ही औधोगिक विवाद लगाया था जिसके बाद ही इतने लोगो के ट्रांसफर हो सके है हेड कैशियर के पद पर,

1200 पदों के लिए ही 20 लीटर पेट्रोल देना होगा,

अब बात करते है हेड कैशियर की जो हर ब्रांच में एक ही हो सकता है पर अभी भी बहुत सी ब्रांचों में SWO A या B से ही हेड कैशियर का काम लिया जा रहा है मतलब यहाँ भी 3 लीटर बचा लिया जायेगा जहाँ जहाँ पद रिक्त है, अब बात करते असली खेल की अगर पहले की तरह ही क्लर्क के पद को मिलने वाले पेट्रोल में हेड कैशियर के पद को अलग न किया जाता तो एक बड़ा फायदा सबसे ज्यादा संख्या वाले साथियों (SWO A/B) का होता मतलब सभी को एक समान 16 लीटर की प्रतिपूर्ति होती पर एक पद अलग करके लगबग 15000 -16000 संख्या वाले SWO साथियो का 3 लीटर पेट्रोल बड़ी चालाकी के साथ कम कर दिया गया।


इस मुद्दे पर किसी भी यूनियन ने  बोलने तक कि अभी तक हिम्मत नही जुटाई है क्योकि यहाँ जो भी हो रहा है सब मैनेजमेंट की मर्जी से हो रहा है वास्तव में ये सब यूनियन नही है ये मैनेजमेंट स्पांसर्ड यूनियन है खास तौर पर कुछ न करने वाली एक और तराजू वाली यूनियन भी इस स्पांसर्ड शिप में अपने को सबसे ज्यादा आगे दिखाने की भी कोई कसर नही छोड़ती है, आप सब अपने विवेक से सोचे और विचार करे क्योकि ये मुद्दा वास्तव में ज्वलंत है और अब युवाओं को इस पर जरूर सोचना होगा ।

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