देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने #doorstepbanking का प्रचार जोर शोर से करना शुरू कर दिया है , पर क्या देश के सबसे बड़े बैंक जिनकी शाखा में ही पर्याप्त स्टाफ नही है जो ग्राहको को निपटा सके , काम का बोझ इतना है जिसे एक कर्मचारी 24 घंटे लगातार भी करे तो भी खत्म न हो , इन सबके बावजूद स्टाफ की नियुक्ति न करके डोर स्टेप बैंकिंग की घोषणा करना क्या उन तमाम ग्राहको के साथ बैंककर्मचारीयो के साथ घिनोना मजाक है जो 10 10 आदमियों का काम पहले से कर रहे है
क्या बैंको की तरफ से डोर स्टेप बैंकिंग के लिए कौन स्टाफ होंगे इसके लिए कुछ सोचा गया है??
क्या स्टाफ की सुरक्षा के साथ उनके डोर तो डोर बैंकिंग में आने वाली समस्याओं पर चर्चा की गई है
बैंककर्मचारी को पिज़्ज़ा डिलीवरी बॉय की तर्ज पर डोर तू डोर बैंकिंग के लिए यूनियन के नेताओ ने सहमति तो दे दी पर क्या आप इस तरह की बैंकिंग जिसमे बैंक तक आ रहे ग्राहको को सर्विसेज न दे पाने पर डोर टू डोर बैंकिंग बस एक दिखावा है ।।
आज स्टाफ न होने की वजह से बहुत से ग्राहक दूसरे बैंको की तरफ जा रहे है ।।
आज बैंको के सामने मुख्य चुनौती वर्तमान ग्राहको को अच्छी सर्विसेज देकर उन्हें कही और जाने से रोकना है जो पर्याप्त स्टाफ के बिना अशम्भव है ।।
एक बड़ा व्यापारी भी अपना व्यापार बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी के साथ स्टाफ की नियुक्ति करता है पर वर्तमान में बैंक बचे हुए कर्मचारियों को ही तमाम नई नई योजनाओं में लगा रहा है ।।
#webankers की टीम SBI व अन्य बैंको के टॉप मैनेजमेंट और उनकी ऐसी योजनाए बनाने वाली टीम से आग्रह करती है कि कृपया AC के बंद कमरों से बाहर निकलकर कम से कम 1 माह शहर की व्यस्तम शाखा और गांव की सुदूर शाखा में रहे उसके बाद ग्राहको की आवश्यकता के अनुरूप योजनाए बनाये
वरना AC में बैठकर बनने वाली योजनाए केवल आपके प्रचार के काम आएगी और बैंककर्मचारीयो पर अनावश्यक दबाव का कारण बनेगी ।।