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Sunday, May 16, 2021

सरकार बैंककर्मचारियो को कोरोना वारियर्स मानती है पर वैक्सीनेशन के लिए बैंकर्स को प्राथमिकता नही दी जा रही ।।



WeBankers ने कोरोना वैक्सीन पर पोल कराया था जिसमे 71% लोगो को वैक्सीनेशन की पहली डोज अभी तक नही लगी और 22% बैंककर्मचारीयो ने अपने प्रयास से वैक्सीनशन कराया ।।


लोक डाउन में जब हमारे घर मे यूट्यूब पर देख देख कर जलेबियाँ तली जा रही थी, जिसका हम रामायण महाभारत देखते हुए आनन्द उठा रहे थे… उस समय कुछ ऐसे लोग भी थे जो अपने और अपने परिवार के जीवन को संकट में डालकर अहर्निश अपना कर्तव्य निर्वहन करने अपने कार्यक्षेत्र पर जा रहे थे…




जी नही, मैं उन लोगो की बात नही कर रहा जिनके लिए हमने तालियां थालियां बजाई थी और सरकार ने जिन पर पुष्प वर्षा की थी… मैं तो उन लोगो की बात कर रहा हूँ जिनको कोरोना से युद्ध मे डटे रहने के बावजूद तालियों की जगह गालियां और पुष्पवर्षा की जगह पुलिस के डंडे मिले, लेकिन फिर भी वो बिना मुंह से एक शब्द बोले अपने काम मे जुटे रहे…


रोज सैंकड़ो लोगो का लेन देन करना, उनको बैंकिंग सेवाएं देना देश की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यावश्यक था, और देश के बैंकर्स ने कोरोना वारियर्स के तौर पर अपना ये फर्ज बखूबी निभाया… देश की अर्थव्यवस्था की रक्षा करते करते 1.5 लाख से अधिक देश के आर्थिक सिपाही संक्रमित हुए और हजारो ने अपनी जान गंवा दी…


देश के सौभाग्य से अंततः हमे कोरोना की वैक्सीन मिली और सरकार ने सबसे पहले वैक्सीनेशन का हक स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य फ्रंट लाइन वर्कर्स को दिया गया…


एकदम वाजिब बात थी, जो लोग कोरोना के संकट से सीधा मुकाबला कर रहे थे उनकी सुरक्षा बेहद जरूरी थी… इसमे पुलिस, पैरा मिलिट्री, सफाई कर्मी, आपदा प्रबंधन कर्मी आदि लोग शामिल किये गए लेकिन बैंकर्स का फ्रंट लाइन वर्कर्स की सूची में कंही भी जिक्र नही किया गया…


इसके बाद सीनियर सिटीजन्स की बारी आई… सरकार ने उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होने के आधार पर टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया, लेकिन बैंकर्स की याद इस बार भी सरकार को नही आई…


हद तो तब हो गई जब तीसरे चरण में 18 से 45 वर्ष के आयुवर्ग को टिके लगाने के दौरान एक चिकित्सा अधिकारी को नोटिस थमा दिया गया कि उन्होंने बैंकर्स को फ्रंट लाइन वर्कर्स मानकर टीकाकरण कर दिया था…


सरकार बैंकर्स को अपमानित और उपेक्षित करने की श्रृंखला में यहीं नही रुकी… कैदियों तक का टीकाकरण सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर करने का निर्णय ले लिया लेकिन बैंकर्स की सुध लेना सरकार ने कतई आवश्यक नही समझा…


विडंबना ये है कि जो व्यक्ति अपराध करने के बाद उसकी सजा भोगने के लिए जेल में है उन अपराधियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सरकार के लिए देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी सम्भाल रहे बैंकर्स के स्वास्थ्य की सुरक्षा से ज्यादा जरूरी है…


क्योंकि बैंकर्स वोट बैंक नही है, तो सरकार को उनकी रक्षा की उनकी सुरक्षा की कोई परवाह नही है… बैंकर्स के योगदान को उनकी कड़ी मेहनत को हमेशा एक पूर्वाग्रह के साथ नकार दिया जाता है…


बैंकर्स को आदेश देने हो तो भारत सरकार, राज्य सरकारें, DFS, RBI, SEBI, NABARD, IRDAI, प्रशासन, सांसद, विधायक, सरपंच यंहा तक कि वार्डपंच भी रेगुलेटर के तोर पर खड़े हो जाते है… लेकिन जब सुरक्षा की बात आती है तो सब के सब अदृश्य हो जाते है…


बैंकर्स के खिलाफ चेक बुक की शिकायत भी सरकार के बर्दाश्त के बाहर होती है, पूरा वित्त मंत्रालय एक शिकायत पर हिल जाता है… लेकिन लाखो बैंकर्स की आर्तनाद पर भी किसी के कानों पर जु तक नही रेंगती…


सरकार को ये समझना होगा कि जब एक बैंकर संक्रमित होता है तो उससे सैंकड़ो ग्राहको को संक्रमण फैल सकता है… उन सैंकड़ो ग्राहको से उनके हजारो परिवार वालो को संक्रमण होने का खतरा होता है… और हजारो लोग कोरोना की ऐसी चेन खड़ी कर सकते है जिससे लाखो करोड़ो लोगो के संक्रमित होने की आशंका होती है…


सरकार से अनुरोध है कि हम पर हमारे परिवार पर हमारे बच्चो पर तरस मत खाइए कोई बात नही… लेकिन कम से कम उन करोड़ो लोगो की सुरक्षा के लिए जो बैंक के जरिये संक्रमित हो सकते है, बैंकर्स का वैक्सीनेशन करवा दीजिए… मुझे पता है नक्कारखाने में तूती की आवाज की तरह इस लेख का कोई महत्व नही होगा, लेकिन फिर भी इतनी उपेक्षा देख कर चुप रहना मुनासिब नही लगा…


ईश्वर जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को सदबुद्धि दे ..








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