जब देश के प्रधानमंत्री महोदय रिलायंस और paytm जैसे पैमेंट बैंक को प्रोत्साहित करने लगें तब भला रिज़र्व बैंक कैसे पीछे रह सकता है? रिज़र्व बैंक ने इन पैमेंट बैंक की वैलेट लिमिट को न केवल एक लाख रुपये से बढ़ा कर दुगना यानि दो लाख रुपये कर दिया है बल्कि RTGS NEFT आदि की सुविधा प्रदान करने के लिए भी अधिक्रत कर दिया है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका सस्ती ब्याज दरो पर पूंजीपतियों और चुनिंदा औद्योगिक घरानों को ऋण देने और फिर इस ऋण को न चुकाने की आज़ादी देते हुए NPA की राशि बढ़ाने तक सीमित् की जा रही है।
कुल मिला कर मौजूदा सरकार की नीति सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एक रुग्न और बीमार उद्योग में परिवर्तित कर उनके निजीकरण को जायज ठहराने की है और इस प्रक्रिया के देश की अर्थ व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को भी नज़रंदाज़ किया जा रहा है।
सरकार की पूंजीपतियों से यारी का सच जनता के बीच ले जा कर मौजूदा सरकार का असली चेहरा, चाल और चरित्र जनता के बीच ले जाना बैंक कर्मियों का पहला दायित्व बन गया है।