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Saturday, April 10, 2021

आज फिर से पूरा बैंकिंग समाज हिल गया है जब काम के दबाव से एक महिला ने आत्महत्या की है ।।


आज फिर एक बैंककर्मचारी ने काम के दबाव से ऑफिस परिसर के अंदर आत्महत्या कर ली , आखिर ऐसी कौन सी मजबूरियां बैंककर्मचारी के सामने आ जाती है जो परिवार की परवाह किये बिना आत्महत्या जैसा रास्ता चुनते है व परिवार को पीछे छोड़ देते है ।। क्या जिंदगी में टार्गेट्स ही सब कुछ है , क्या हर आदमी की योग्यता बराबर हो सकती है , क्या जिसको चमचागिरी करना न आती हो वो सरकारी नौकरी नही कर सकता है , आज फिर से पूरा बैंकिंग समाज हिल गया है जब काम के दबाव से एक महिला ने आत्महत्या की है ।।


आखिर क्या वजह है बैंक की नौकरी चुनने के लिए


शायद ये वजहें है -
असली वजह बेरोजगारी ही है
असली वजह सरकारी नौकरी का ठप्पा लगने की चाहत है
असली वजह कोई टेक्निकल स्किल नही है
असली वजह फाइनेंस का अभाव होना है जिससे खुद का कोई बिज़नेस खड़ा किया जा सके

और सबसे असली वजह खुद का आत्म मंथन ना करना भी है,

आखिर क्या वजह हो सकती है जो जायज मांग होने के बाद भी बैंकर अपनी बातें नही मनवा पाते,
आप कहेंगे हमारी लीडरशीप,
बिल्कुल सही है आप यहां पर, हमारी लीडरशीप जिस पर जिस दिन से हम बैंक में आये उनको लिखित हमने आस्वासन दिया कि आप हमारे हितों के लिए बैंक प्रबंधन औऱ सरकार से बात करोगे, हमारी दैनिक समस्याओं को भी आप ही हल करोगे क्योकि हमारे नेता आप हो ,

पर सब जानते है यथार्थ में कि 10 लाख छोटी मोटी संख्या ये नही है जी हाँ 10 लाख का प्रतिनिधित्व करने वाले हमारे नेता बैंक कर्मचारियों की जायज मांग भी नही मनवा पाते है ।।

आखिर क्या वजह है कि 10 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करने के बाद भी -

1 बैंक कर्मचारियों का वेतन सबसे कम है

2 बैंक कर्मचारियों की नई नियुक्ति होना बहुत कम होती जा रही जब कि काम बहुत बढता जा रहा है

3 क्या वजह है कर्मचारियों को दूर ट्रांसफर करने का डर दिखा कर उल्टे सीधे काम कराए जा रहे है

4 क्या वजह है महिला कर्मचारियों से भी शाखा में देर तक रुकने को बाध्य किया जा रहा है और हमारे नेता मूकदर्शक बने हुए है

5 क्या वजह है कि लोगो को घर की पोस्टिंग, स्पाउस ग्राउंड पर भी केवल उनका ही ट्रांसफर होता है जिनका जुगाड़ है नेतानगरी में

6 और सबसे बड़ी वो क्या वजह है जिसमे एक कर्मचारी डर डर के काम कर रहा है कि कही कोई मेमो ना मिल जाये, कही कोई एक्सप्लेनेशन कॉल ना हो जाये , कही कस्टमर कंप्लेन ना हो जाए

इन सबकी main वजह हमारे नपुंसक हुए नेता है जो कर्मचारियों के नेता होकर बात मैनेजमेंट की करते है और जो काम डरा कर कई बार मैनेजमेंट नही करवा पाता वो काम ये नेता डरा कर करा लें जाते है ।।

जो डरपोक ज्यादातर डरपोक ही कहूंगा क्योकि परिस्थिति और बहुमत भी डरपोक लोगो का ही है वो नेता की धमकी में आ जाते हैं, और जो निर्भीक होते है उन्हें या तो सस्पेंड या फिर वो आत्महत्या का रास्ता अपनाते है,

पर एक तीसरी प्रजाति के भी लोग होते है जो बिना डर के हर मेमो का जवाब देते है,
हर एक्सप्लेनेशन कॉल का सर्कुलर के साथ रिप्लाई देते है पर गलत के आगे झुकते नहीं क्योकि अगर वो झुक गए तो अपने परिवार को क्या शिक्षा देंगे, ऐसे लोगो पर इनके दोस्त यार रिश्तेदार और परिवार भी गर्व करता है औऱ भगवान भी सत्य की राह पर चलने वालों की जीत सुनिश्चित करता है ।।

वर्तमान में युवाओं में ये तीसरी प्रजाति तेजी से पनपने लगी है जिन्होंने
ना
को
ना
कहना सीख लिया है और वो दिन दूर नहीं जब बैंक में तीसरी प्रजाति के लोगो का ही वर्चस्व रहेगा ।।

फिर लोग अपनी संतानों को भी बैंक की तैयारी करवाएंगे और दबाव नाम की चीज कही दूर दब जाएगी और इन सबका रिजल्ट हमे अच्छा वेतन ( सीपीसी) पुरुस्कार के रूप में मिलेगा ।।

वी बैंकर्स में आजकल तीसरे प्रजाति के लोगो की भरतिया हो रही है, क्या आप भी तीसरी प्रजाति के सदस्यता ले कर अपना भविष्य सुखद करने की योजना बना रहे हैं ।।

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