ग्राहक : मैनेजर साहब ! ये हमारे खाते से 20 रुपया किस बात का कटा है ?
मैनेजर : जी ! पासबुक दिखाइए इधर । (पासबुक देखकर) यह 20 रुपया नहीं, 20 पैसा है, SMS का कटा है ।
ग्राहक : आपलोग SMS भेजने का पैसा भी काटने लगते हैं । हद हैं आपलोग । हमारे खाता में हमारा कितना रुपया है, हम अपने खाता में अपना ही कितना रुपया जमा किए, कितना निकाले - आप उसको बताने का चार्ज भी हमसे लेते हैं । गजब है ।
(गुस्से में बाहर निकलते हुए.... फिर वापस मुड़कर)
ग्राहक: मैनेजर साहब ! आपका बैंक भी प्राइवेट हो रहा है ? वो बजट में टीवी पर सुने को सब सरकारी बैंक प्राइवेट हो रहा है ।
मैनेजर : अभी सरकार ने निजीकरण के लिए किसी बैंक का नाम नहीं बताया है । वैसे यह बैंक सिर्फ हमारा नहीं, आपका भी है ।
ग्राहक : हमारा ? हमारा कैसे ? नौकरी तो आप करते हैं न यहाँ ! बैंक प्राइवेट हुआ तो आपके नौकरी प्राइवेट होगा । हमारा क्या ? हमको तो अच्छा ए. सी. वाला बैंक मिलेगा । वेटलेट वाला गद्दा मिलेगा बैठने को । इतना लाइन में लगना न पड़ेगा और ई जो आप लोगों का अकड़ है न - सरकारी वाला । सब निकल जाएगा । सर - सर कह के बात कीजियेगा !
मैनेजर : (मुस्कुराकर) वेलवेट वाले गददे और अच्छा ए. सी. का खर्च भी तो आपसे ही लिया जाएगा !
ग्राहक : हाँ .....तो थोड़ा -बहुत दे देंगे और क्या ?
मैनेजर : अभी तो आप 20 पैसा कट जाने पर हमारी ऐसी -तैसी कर रहे थे । खैर ! आप इस बात पर खुश हो लीजिए कि हमारी नौकरी प्राइवेट हो जाएगी। वैसे एक बात बताएँ । यहाँ जो भी स्टाफ है न ! ऑल इंडिया कम्पीटीशन पास करके, फिर इंटरव्यू पास करके तब लगा है बैंक में । सबमें इतनी काबिलियत है न अगर प्राइवेट वाली नौकरी न करना चाहे तो भी अपनी जिंदगी में बहुत कुछ और कर लेगा । सरकारी बैंक वाले अपनी काबिलियत जन धन योजना खोलने और मुद्रा लोन बांटने में दिखा चुके हैं । आप नोटबन्दी नहीं भूले हैं न ! बिना किसी सेक्युरिटी के हजारों की भीड़ सम्भाले थे हम और कोरोना काल तो अभी याद ही होगा - तीन महीना तक पांच - पांच सौ रुपए, फिर किसानों को दो-दो हजार हम तब बांट रहे थे जब आप कोरोना के डर से घर में बंद थे । ये बैंक तब भी हर रोज खुला था । (पानी का ग्लास उठाकर एक सिप लेने के बाद) इसलिए आप यह सोचकर खुश मत होइए कि बैंक प्राइवेट हुआ तो सिर्फ स्टाफ को फर्क पड़ेगा । आपके खाता और जेब पर जो असर पड़ेगा न उसकी चिंता कीजिये ।
ग्राहक : मैनेजर साहब ! आप तो बुरा मान गए ।
मैनेजर : वो इसलिए कि प्राइवेटाइजेशन से सबसे ज्यादा असर जिसको पड़ेगा , वो अभी तक बुरा नहीं मान रहा । सबसे ज्यादा आपकी कटेगी और आप खुशी में ताली पीट रहे हैं कि .....
ग्राहक : सर ! हम पर क्या असर पड़ेगा ?
मैनेजर : आपका किसी प्राइवेट बैंक में खाता है ?
ग्राहक : नहीं ! एक बार गए थे खुलवाने । मिनिमम बैलेंस 10,000 बोला । एटीएम और चेक बुक का चार्ज अलग से । पैसा निकालने के लिए लूज चेक और स्टेटमेंट का चार्ज भी । हम खुलवाए नहीं । फिर आपके बैंक में आ गए । सौ रुपया में खाता खुल गया और सब कुछ फ्री ।
मैनेजर साहब मुस्कुरा रहे थे । आखिर में बोले - घर जाकर एक बार फिर सोचिएगा कि प्राइवेट होने के बाद मैनेजर साहब की अकड़ बढ़ेगी या घटेगी ? और आपकी जेब भरेगी या फटेगी ?
#STOPPRIVATIZATION