आज Paytm, Airtel बैंक, फ्रीचार्ज ola ऐसे तमाम बैंक बन गए है जो ऑनलाइन व्यापार तो करते है पर उनके पास न तो आफिस है न ही इंफ्रास्ट्रक्चर ।। कही न कही ये उनकी बहुत बड़ी कमजोरी है जो उन्हें इन्वेस्टर से जोड़ नही पा रही है ।।
सरकार द्वारा बड़े बैंको को प्राइवेट को बेचने के पीछे की मंशा यही है कि एक बड़ा सेटअप इन ऑनलाइन बैंक को बैठे बैठे मिल जाएगा ।।
जो ग्राहक बनाने में वर्षों लगते है उसे ये कौड़ियों के भाव खरीद कर उसे अपने नाम पर बदलकर राज करेंगे , पर दुनिया जानती है कि JVG कंपनी के साथ क्या हुआ था , आज ऐसे ऑनलाइन बैंक कुकुरमुत्ते की तरह उग आए है और गिद्ध की तरह उनकी नजर हर सरकारी बैंक पर है जिसमे वर्तमान सरकार एक ब्रोकर का काम कर रही है ।।
क्या बैंको के प्राइवेट होने के बाद आम जनता को बैंकिंग मिलना सुलभ हो पायेगा ??
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