ये सच मे एक हास्यप्रद तर्क था बैंको का
जो उसने 4.02.2021 की NIT मुम्बई की मीटिंग में NIT के सामने तर्क रखा कि हमे क्लेम ऑफ स्टेटमेंट की हार्ड कॉपी नही मिली है ।।
जहाँ बैंक अपने कर्मचारियों को ट्रेनिंग , स्टडी मटेरियल सब ऑनलाइन डिजिटल कर रही है बिना प्रॉपर सेटअप के
जहाँ ग्राहको को पेपर बैंकिंग से हटा कर डिजिटल बैंकिंग की तरफ बढ़ाया जा रहा है
जहाँ सभी बैंककर्मचारियो को बैंक का मिलने वाला एक कैलेंडर भी नही दिया गया वो इसलिए कि कॉस्ट कटिंग करनी है व पेपर बचाने है इसलिए सबको पीडीएफ की कॉपी दे दी गयी ।।
वही दूसरी ओर NIT मुंबई के सामने क्लेम ऑफ स्टेटमेंट की हार्ड कॉपी न मिलने का बैंक बहाना करती है , जबकि ईमेल पर सभी बैंको को क्लेम ऑफ स्टेटमेंट की कॉपी 3 जनवरी 2021 को भेज दी गयी है WeBankers के द्वारा ।।
व्हाट्सअप पर और फ़ोन पर कॉल करके फरमान सुनाने वाले बैंक को खुद के लिए सब कुछ हार्ड कॉपी में चाहिए ।।
E-circular , बैंक नोटिस , RBI गैजेट्स, कस्टमर कंप्लेन और भी बहुत कुछ को एक साधारण बैंककर्मचारी ईमेल व्हाट्सअप पर समझ ले
पर बड़े बड़े बैंक को ईमेल पढ़ना नही आता है , उन्हें हार्ड कॉपी जब तक न मिलेगी तब तक कुछ मायने नही है
फिर ये ऑनलाइन का ढकोसला क्यो है ??
कॉस्ट कटिंग के नाम पर ग्राहको को जबरदस्ती ऑनलाइन बैंकिंग क्यो दिलवाया जा रहा है
निचले स्तर पर और जो कर्मचारी फ्रंट पर काम कर रहे है उनकी ट्रेनिंग बंद करके क्यो सब कुछ ऑनलाइन पढ़ने का दबाव बनाया जाता है ??
बैंक के exam को क्यो ऑनलाइन कराया जाता है ??
यदि शाखा में बैठा हुआ 58 वर्ष का आदमी ऑनलाइन बैंकिंग ग्राहको का करा सकता है
ईमेल पढ़ सकता है तो बैंक क्यो नही पढ़ सकती ईमेल ??
सवाल बहुत है जिसका जवाब जानना आपके लिए भी जरूरी है ।।