आज बदली हुई परिस्थितियों में हर एक बैंककर्मचारी केंद्रीय वेतन आयोग CPC चाहता है, इसी कड़ी में We Bankers ने कोर्ट में अपनी मांग रखी है जिसकी अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को है ।।वी बैंकर्स द्वारा वेतन पेंसन और कार्य-दिवस में समता और बराबरी की माँग को राष्ट्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण अथवा एक अलग वेतन आयोग को गठित करने की माँग पर लगाई गई याचिका पर आज उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई - विरोधी पक्षकारों के वकीलों द्वारा निर्देश प्राप्त करने के लिए समय माँगा गया जिस पर माननीय जज महोदय ने उन्हें एक सप्ताह का समय निर्देश लेने के लिए दिया गया । माननीय जज महोदय ने विशेष तौर पर भारत सरकार के वक़ील को निर्देशित किया है कि वे पता करें कि 11.06.2020 को मध्यस्थता कार्यवाही की विफलता की रिपोर्ट के बावजूद वी बैंकर्स के औद्योगिक विवाद को राष्ट्रीय न्यायाधिकरण या अलग से वेतन आयोग को न्याय निर्णय हेतु सौंपने के सम्बंध में औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 12(5) के तहत कोई निर्णय अब तक क्यों नहीं लिया गया है ।
अब याचिका की सुनवाई 15 अक्टूबर को पुनः एक नई याचिका के रूप में होगी ।
इस तरह वी बैंकर्स ने एक बार फिर वेतन पेंसन और कार्यदिवस में समानता की माँग से बैंकिंग उद्योग को गुंजायमान कर दिया है - आम बैंक कर्मियों की आवाज़ 22.07.2020 को भुगतान क्षमता पर आधारित 15% वेतनवृद्धि की माँग पर आम सहमति पर हस्ताक्षर करने वालों तक ज़ोरदारी से पहुँचा कर उन्हें सचेत कर दिया है कि अगर उनमें ज़रा भी ईमानदारी है तो उच्च न्यायालय में आकर बताएँ कि भारतीय बैंक संघ जो ख़ुद बार बार घोषणा कर रही है कि वह एक अवैधानिक संस्था है जिसका कोई विधिक अस्तित्व नहीं है और जिसके ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती भला ऐसी संस्था से क्यों यारी है और बैंक कर्मचारियों की समानता और बराबरी की माँग का समर्थन न करने के पीछे कौन सी लाचारी है ?
ईमानदारी के साथ पूरे मन से बैंक कर्मियों को उनके वेतन पेंसन आदि में समता और बराबरी के लिए प्रयास करना ही हमारे नियंत्रण में है और हम इन प्रयासों पर खरा उतरने के अपने वचन को विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी पालन करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं - परिणाम तो ईश्वर के हाथ में है !कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
अब याचिका की सुनवाई 15 अक्टूबर को पुनः एक नई याचिका के रूप में होगी ।
इस तरह वी बैंकर्स ने एक बार फिर वेतन पेंसन और कार्यदिवस में समानता की माँग से बैंकिंग उद्योग को गुंजायमान कर दिया है - आम बैंक कर्मियों की आवाज़ 22.07.2020 को भुगतान क्षमता पर आधारित 15% वेतनवृद्धि की माँग पर आम सहमति पर हस्ताक्षर करने वालों तक ज़ोरदारी से पहुँचा कर उन्हें सचेत कर दिया है कि अगर उनमें ज़रा भी ईमानदारी है तो उच्च न्यायालय में आकर बताएँ कि भारतीय बैंक संघ जो ख़ुद बार बार घोषणा कर रही है कि वह एक अवैधानिक संस्था है जिसका कोई विधिक अस्तित्व नहीं है और जिसके ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती भला ऐसी संस्था से क्यों यारी है और बैंक कर्मचारियों की समानता और बराबरी की माँग का समर्थन न करने के पीछे कौन सी लाचारी है ?
ईमानदारी के साथ पूरे मन से बैंक कर्मियों को उनके वेतन पेंसन आदि में समता और बराबरी के लिए प्रयास करना ही हमारे नियंत्रण में है और हम इन प्रयासों पर खरा उतरने के अपने वचन को विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी पालन करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं - परिणाम तो ईश्वर के हाथ में है !कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥