बैंक ऑफ इंडिया को कारण बताओ नोटिस सूचना आयुक्त के द्वारा जारी सूचना के अधिकार के जवाब में आना कानी पड़ी भारी - We Bankers

Breaking

We Bankers

Banking Revolution in india

Friday, August 5, 2022

बैंक ऑफ इंडिया को कारण बताओ नोटिस सूचना आयुक्त के द्वारा जारी सूचना के अधिकार के जवाब में आना कानी पड़ी भारी

बैंक ऑफ इंडिया को कारण बताओ नोटिस सूचना आयुक्त के द्वारा जारी


 सूचना के अधिकार के जवाब में आना कानी पड़ी भारी


सूचना आयुक्त ने बैंक ऑफ इंडिया कानपुर अंचल को जारी किया कारण बताओ नोटिस


सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत वी बैंकर्स के आर टी आई सेल के मुख्य संरक्षक व वरिष्ठ आर.टी. आई. कार्यकर्ता जिनके मुख्य सूचना आयोग में हजारों रुपए के दंड अलग अलग बैंको को लगवाए जा चुके है  ऐसे आरटीआई कार्यकर्ता चयन घोष चौधरी के द्वारा  बैंक ऑफ इंडिया कानपुर अंचल से आरटीआई के द्वारा सूचना मांगी थी जिसमे आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा पूछा गया था की बैंक के द्वारा अपने पैनल अधिवकाताओ की सूची उनको कानूनी केस के लिए प्रदान किए जाने वाले  बिल व भुगतान का विवरण,

बैंक के प्रबंधन एसोसिएशन का नाम, पदाधिकारियों की सूची, बैंक के द्वारा अपने एसोसिएशन को दी जाने वाली चंदे की राशी आदि का विवरण मांगा था जिसको बैंक के तत्कालीन सूचना अधिकारी अखिलेश कुमार गुप्ता के द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 8 व 7 के प्रावधानों के अंतर्गत बता कर सूचना देने से इंकार कर दिया गया और इस आदेश के विरुद्ध प्रथम अपील 20.02.2020 को की गई जिसमे तत्कालीन प्रथम अपीलीय अधिकारी के द्वारा सूचना अधिकारी की सूचना न देने के फैसले को सही ठहराते हुए अपील को निरस्त कर दिया गया और जिसके विरुद्ध दूसरी अपील 15.06.2020 को मुख्य सूचना अधिकारी, नई दिल्ली के समक्ष की गई और दूसरी अपील की सुनवाई 12 जुलाई 2022 को सूचना आयुक्त सुरेश चंद्रा के द्वारा की गई जिसका आदेश 02 अगस्त 2022 को जारी किया गया जिसमें सूचना आयुक्त के द्वारा माना गया कि सूचना प्राप्तकर्ता चयन घोष चौधरी के द्वारा दिया गया तर्क की वकीलों की लिस्ट और उनको किया गया भुगतान में भ्रष्टाचार का मामला है क्योंकि लेबर कोर्ट के केस में वकील के द्वारा बैंक की तरफ से केस को प्रस्तुत नही किया जा सकता है उसके  बाद भी अधिवक्ता को लेबर कोर्ट में कर्मचारियों के विरुद्ध बैंक का पक्षकार बना कर खड़ा किया जा रहा है और उसके लिए पैसे का भुगतान किया जाना जनता के पैसो की बर्बादी है क्योंकि औधोगिक विवाद अधिनियम के अंतर्गत वकील की उपस्तिथि प्रतिबंधित है और कोर्ट के समय को खराब किया जाना है, सूचना आयुक्त के द्वारा बैंक के पूर्व केंद्रीय सूचना अधिकारी अखिलेश कुमार गुप्ता और वर्तमान केंद्रीय सूचना अधिकारी मनोज कुमार सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न आपके विरुद्ध आरटीआई एक्ट के अंर्तगत कार्यवाही की जाये बताये और इसका लिखित प्रत्यावेदन 21 दिनों के अंदर 

बैंक के सूचना अधिकारीयो को केंद्रीय सूचना आयोग के पोर्टल पर दर्ज करने का आदेश दिया है और  सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत इन अधिकारियों पर दंड भी क्यो न लगाया जाये बताये ये कहा है

इस फैसले पर वी बैंकर्स के संरक्षक कमलेश चतुर्वेदी ने कहा कि बैंको के बड़े अधिकारियों के द्वारा जनता के पैसों की अपने कर्मचारियों के विरुद्ध न्यायिक कार्यवाहीयो में बेवजह बर्बाद किया जाना बहुत ही खराब है और इस मुद्दे को आगे और भी बैंको में उठाया जायेगा।








close