बैंक में अभद्र भाषा कौन इश्तेमाल कर सकता है ??
इसका जीता जागता उदाहरण आपके सामने है , अभी हाल में ही एक ऑडियो वायरल हुआ है जिसमे सरकारी बैंक के रीजनल मैनेजर ने शाखा प्रबंधक को हरामखोर और न जाने क्या क्या कह दिया जिसे सारी दुनिया ने सुना पर उनका कुछ नही हुआ वही दूसरी तरफ एक क्लर्क ने अपने शाखा प्रबंधक को गुंडा बोल दिया तो उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ा ।।
अहमदाबाद से खबर :
अगर बॉस से बदतमीजी से बात की तो नौकरी जा सकती है, गुजरात के एक बैंक क्लर्क के साथ यही हुआ। इस क्लर्क ने अपने बैंक मैनेजर को 'गुंडा' कह दिया था, बैंक ने कार्रवाई की और उसे नौकरी से हटा दिया। क्लर्क महोदय कोर्ट गए लेकिन लेबर कोर्ट से लेकर गुजरात हाई कोर्ट तक ने यही कहा कि उन्हें अपने जुर्म की वाजिब सजा मिली है।
यह बैंक क्लर्क हैं हर्षद दवे। 21 फरवरी 2002 को जब वह राजकोट में बैंक ऑफ इंडिया की कस्तूरबाधाम ब्रांच में पोस्टेड थे उस समय उन्होंने किसी बात पर अपने बैंक मैनेजर को सरेआम 'गुंडा' कह दिया। मैनेजर ने उनकी शिकायत उच्चाधिकारियों से कर दी।लेबर कोर्ट में भी मिली हार
आरोप साबित होने पर उसे जुलाई 2003 में बर्खास्त कर दिया गया। दवे इसके खिलाफ लेबर कोर्ट गया लेकिन वहां 2011 में केस खारिज हो गया। दवे 2012 में हाई कोर्ट गया लेकिन वहां सिंगल जज की बेंच ने 2012 में उसकी अपील खारिज कर दी।
डिविजन बेंच ने भी की अपील खारिज
इसके बाद डिविजन बेंच में जाने पर जब जस्टिस विनीत कोठारी और जस्टिस बीएन कारिया की बेंच ने मामले की सुनवाई की तो फैसला किया कि बर्खास्तगी सही थी। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि जो आरोप लगाए गए हैं उनके हिसाब से दंड एकदम अनुकूल है।
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एक्सपर्ट राय -
अभद्र व्यवहार के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की नीति होनी चाहिए। यदि बैंक / सरकार का कोई भी कर्मचारी या अधिकारी अपने से जूनियर, अपने से सीनियर या किसी ग्राहक के साथ अभद्र व्यवहार करे तो उसे नौकरी से हटा दिया जाना चाहिए।
साथ ही यदि ग्राहक अभद्र व्यवहार करता है तो उसके खिलाफ भी पुलिस में रिपोर्ट दी जानी चाहिए।
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