एक कहावत है
"हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या"
आज जिस तरह से बैंकिंग पूरी तरह बदल गयी है ये कहावत बैंककर्मचारीयो पर सटीक बैठ रही है, हम बात कर रहे है उन 10 लाख बैंककर्मचारीयो की जो सड़क पर हो हल्ला नही करते है , हम बात कर रहे हैं उन प्रतिभावान बैंककर्मचारीयो की जिन्होंने एक कठिन परीक्षा पास करके बैंक की नौकरी पायी है ।।
जब बैंककर्मचारीयो की उनके मैनेजमेंट, यूनियन नेताओ व सरकार द्वारा सीधे तौर पर बात नही सुनी जा रही थी इन्होंने सोशल नेटवर्किंग साइट "Twitter" पर अपनी बात कहनी शुरू कर दी । इसकी सबसे पहले शुरुआत युवा बैंककर्मचारीयो का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था "We Bankers" ने किया , उन्होंने बाकायदा अन्य सोशल प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक , यूट्यूब, के माध्यम से बैंककर्मचारीयो को ट्विटर एकाउंट बनाना व चलाना सिखाया
आज webankers की तरफ से बहुत से टेलीग्राम व व्हाट्सअप ग्रुप चल रहे है जिसमे ट्विटर पर किसी हैशटैग को चलाने से पहले भरपूर तैयारी की जाती है और एक ही समय पर बैंककर्मचारीयो द्वारा लगातार उन मुद्दों पर ट्वीट करके उस हैशटैग को टॉप 5 पर लाया जाता है , आज कोरोना काल मे सोशल मीडिया आपको अपनी बार बोलने का मौका देता है और ट्विटर सरकार मैनेजमेंट तक अपनी बात पहुचाने का शसक्त माध्यम है यदि आप ट्विटर पर नए हो तो Telegram जरूर जॉइन करे ।।
WeBankers का प्रयास है कि वो बैंककर्मचारीयो को जागरूक करे और ट्विटर व अन्य सोसल मीडिया का प्रयोग अपनी बात पहुचाने के लिए करे