बाद में इसी कार्यवाही में एक कड़ी जोड़ते हुए कहा गया कि शाखा आवासीय परिसर से संचालित हो रही थी जो कि नियम विरूद्ब थी. टीवी चैनल को बाईट देते समय तहसीलदार महोदया कह रही थी कि शाखा प्रबंधक द्वारा योजना के हितग्राहियों के साथ अभद्र व्यवहार किया गया, उन्हें माननीय प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा चलाई जा रही इस जनहितैषी योजना का लाभ नहीं दिया गया.
तो प्रिय तहसीलदार महोदया, सबसे पहले ये बताने का कष्ट करें:
1. किसी योजना के लाभार्थियों के चयन की ज़िम्मेदारी आपकी है या बैंक की?
2. बैंक द्वारा लिखित रूप से बताया गया है कि 59 लाभार्थियों को लोन दे दिए गए थे. क्या प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के अंतर्गत शत प्रतिशत लोन देने का कोई नियम है?
3. अगर शाखा परिसर एक आवासीय भवन में संचालित हो रहा था तो क्या भवन स्वामी को या फिर शाखा प्रबंधक को इस बारे में कोई अग्रिम नोटिस या चेतावनी दी गयी थी? अगर नहीं तो आपके विभाग के किस अधिकारी की गलती है जो समय रहते ऐसे अतिक्रमण का पता नहीं लगा पाया.
4. शाखा परिसर में सभी गोल्ड एवं लगभग 50 लाख रुपये नकद खुले में रखा हुआ था और केवल मेन गेट को सील कर दिया गया था. किसी भी प्रकार के नुकसान की ज़िम्मेदारी क्या आपकी मानी जायेगी?
5. क्या नगर निगम को ये अधिकार है कि वो लोन ना देने पर किसी भी बैंक को सील कर दे? अगर हां तो किस नियम अंतर्गत ये कार्यवाही की गयी है?
6. बैंक कर्मी भी आम नागरिक है, क्या नगर निगम द्वारा गड्ढा मुक्त सड़कें और कचरा मुक्त शहर ना दे पाने की स्थिति में बैंक कर्मी नगर निगम के कर्मचारियों, तहसीलदार एवं जिला कलेक्टर के खाते सीज़ कर सकता है?
7. क्या माननीय प्रधानमंत्री या फिर माननीय मुख्यमंत्री की तरफ से ऐसे लिखित आदेश हैं कि उनकी जनहितैषी योजना में शत प्रतिशत लोन ना दिए जाने पर कलेक्टर, तहसीलदार या नगर निगम के सीएमओ एक बैंक शाखा को सील कर सकते हैं?