बैंक की नौकरी के लिये IBPS exam लेती है जिसके द्वारा विभिन्न बैंको में रिक्त पद भरे जाते है पर उस समय ये नही बताया जाता कि असल मे आपकी नौकरी टारगेट के आधार पर है जो रोजाना महलोगिन डे के हिसाब से तय होगी ।।
90 फीसदी कॉरपोरेट NPA को जन्म देने वाले और बैंको को निजीकरण की तरफ धकेलने वालों का सम्बन्ध इस पत्र को जारी करने वाले वर्ग से ही है..... और जिनके आत्मकेंद्रित महत्वकांक्षाओं और पापों का बोझ आम बैंक श्रमिक न जाने कितने दशकों से चुपचाप उठा रहा हैं।
मुझे नहीं पता प्रमोशन लेने के बाद कितने अधिकारीयों में क्यूँ और कैसे मनुष्यता का लोप हो जाता हैं।
आज सभी सार्वजनिक बैंको में ग्राहकों के सैलाब के अनुपात में स्टॉफ की भारी कमी है और सरकार की जीरो बैलेंस वोट दिलावन योजनाओं का भरमार हैं।
आज राष्ट्र सेवा में बैंककर्मी अपने स्वास्थ्य और पारिवारिक जिम्मेदारियों की अनदेखी करते हुए 8 घंटे के बजाय 12-14घंटे काम रोजाना काम कर रहें हैं।
ये काम का दवाब ही हैं जिसने नोटबंदी से कोरोना संग्राम तक हजारों की संख्या में बैंककर्मियों के प्राण लील लिए और जिसकी भनक तक #Soldmedia ने देश को लगने न दी।
आज एक तरफ देश का प्रधानमंत्री इन बैंको को बेचने की बात करता हैं
तो दूसरी तरफ सेंट्रल बैंक के रीजनल मैनेजर राजेश सिंह जैसा आदमी आम बैंकश्रमिकोंँ के मिलने वाले लाभ -भत्ते काटने की बात करता हैं।
वास्तव में ये सब कुछ नहीं 14 लाख बैंककर्मियों के दीर्घकालिक शालीनता और चुप्पी का नतीजा हैं जिसने लोकतान्त्रिक भारत में कुछ लोगों को रावण और कंस बना दिया हैं।
आइए हम सब एकजुट और संकल्पकृत हों और ऐसे किसी पूँजीवादी शोषक प्रतिकों के बदमाशी -गुण्डागर्दी को सिरे से नकार दें।
हम लड़ेंगे क्यूँकि पानी अब सर के ऊपर है
🌼लक्ष्य कार्ल मार्क्स का :रास्ते गाँधी जी के 🌼
#FIGHTFORJUSTICE #FightForDemocracy
#shameonyourajeshsingh
#stayunited #stopexploitation #StopPrivatisation
✍️*रामशंकर सिंह*