आजकल किसी भी बैंक में जाइये, पूरा कोना देख आइये पर पूरी बैंक में 3 से 4 स्टाफ से ज्यादा नही मिलेंगे , कुछ में तो मात्र 2 ही स्टाफ दिखेंगे, अब बैंक के बिज़नेस के आधार पर स्टाफ नही देखे जाते पर क्या ऐसा कर के हम ग्राहक व स्टाफ को मानसिक तनाव नही दे रहे है ।।
अभी हाल ही में दीवाली के समय अत्यधिक भीड़ होने के कारण बहुत से SWO स्टाफ जो कैश में रहते है उनका कैश शार्ट हुआ , उन्होंने अपना काम ध्यान से किया होगा पर भीड़ के कारण व अन्य तमाम अतिरिक्त कार्य के कारण उनका कैश शार्ट हुआ ।। ये समस्या एक दिन की अब नही रही ये स्टाफ न होने के कारण लगातार बढ़ ही रही है ।।
ऐसी समस्या न आये इसलिये आज से 20 वर्ष पहले कैश के अलग अलग काउंटर होते थे , निकासी जमा अलग यहाँ तक कि 10000 तक एक काउंटर
10 से 50000 तक दूसरा
50 से ऊपर तीसरा
कैश वाला केवल कैश का काम करता था उसके बाद यदि खाली है तो भी कुछ नही करता था वो इसलिए कि कैश काउंटर पर रिस्क ज्यादा होता है ।।
पर वर्तमान परिस्थितियों में शाखा में 1 ही क्लर्क SWO है जो कैश के साथ खाता खोलने, ट्रांसफर, क्रॉस सैलिंग सब कर रहा है , अब CBS होने के बाद एक शाखा में ग्राहक भी बढ़ गए है जिससे एक साथ उसका दिमाग कई चीजो में व्यस्त हो जाता है ।।
इसका नतीजा थोड़ी सी चूक होने पर उसका कैश शार्ट हो जाता है जिसे उसको अपने वेतन से देना होता है ।।
पर बैंक यूनियन के नेताओं को इन चीजों से कोई मतलब नही है , उन्हें ये पता है कि वेज रेविशन पर 4% लेना है पर ये नही की यदि किसी स्टाफ का कैश शार्ट हो जाये तो क्या किया जाए ।।
इन्ही नेताओं ने बिना दूरगामी परिस्थितियों को जाने SWO व न जाने किन किन चीजों पर दस्तखत कर आये जिसके कारण अब आपको एक वेतन पर 50 से ज्यादा काम करना होता है और वो भी खत्म भी करना है ।।
इसके उलट आपके RBO/ HO में हर शीट के लिए स्टाफ मिलेंगे , जहाँ पहले एक AGM होता था जिसके जिम्मे सब काम था
आज हर काम के लिए एक AGM
कुल मिला कर निष्कर्ष यही निकलता है कि यूनियन के नेताओ की मिलीभगत से अब काम करने वाला काउंटर पर मात्र 1 आदमी है और काम करवाने वाले 50 , इन परिस्थितियों में गलती होगी ही , आखिर इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज कौन उठाएएगा , कौन अपने स्टाफ के लिए आगे आएगा
कौन ग्राहक सेवा अच्छी हो इसके लिए बैंक के परिसर में स्टाफ मुहैया कराएगा ।।
आपका फैसला है कि आपको पहले क्या करना है ।।