क्या सरकारी बैंक ओवरलोडेड है इसलिए सोने देने वाली मुर्गी को एक बार मे ही बेचा जाएगा ।। - We Bankers

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Sunday, May 23, 2021

क्या सरकारी बैंक ओवरलोडेड है इसलिए सोने देने वाली मुर्गी को एक बार मे ही बेचा जाएगा ।।


 Overloaded

जी हाँ ओवरलोडेड जिसका मतलब जरूरत से ज्यादा का भार , अक्सर लिफ्ट में जाते समय ज्यादा आदमी होने से लिफ्ट में ओवरलोडेड दिखाने लगता है, हेलीकॉप्टर में ज्यादा वजन होने से ओवरलोडेड, मोबाईल में ज्यादा वीडियो होने से ओवरलोडेड जिस कारण किसी न किसी को बाहर करना पड़ता है ।।


पर संसार मे एक प्राणी है जिस पर जितना भी वजन डाल दो वो कभी न नही करता है , देश के सरकारी बैंक में काम करने वाले बैंककर्मचारी इसका जीता जागता उदाहरण है , कौन नोटबन्दी के समय को भूल सकता है जहाँ बैंक के बाहर रोड तक लाइन लगती थी , सुबह से रात तक बैंककर्मचारी लगातार असंख्य ग्राहको को रोज डील करता था , चाहे कोई भी दौर हो बैंककर्मचारी स्टाफ की कमी को झेल रहा है और कोरोना के दौर में भी पूरी ईमानदारी से कार्य कर रहा है ।।


आज कोई भी योजना हो, कोई भी व्यापार हो बिना बैंक के सम्भव नही है , इस पर सरकारी नियंत्रण उतना ही जरूरी है जितना लोकतांत्रिक राज्य में नौकरशाही का प्रशासन का पर वर्तमान में बैंको को बेचा जा रहा है चंद मुनाफे के लिए , क्या ये मुनाफा हर वर्ष मिलने वाले बैंक के प्रॉफिट से ज्यादा है , जी नही फिर कौन सी मजबूरी है जो ओवरलोड और अंदरपैड होने पर व प्रॉफिट देने के बावजूद सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को एक बार मे ही बेच दिया जाएगा ।।


आज सड़को पर भीड़ है

ट्रेन में भीड़ है

बस में भीड़ है

बैंक में भीड़ है

और हर उस जगह पर भीड़ है जहाँ आम आदमी की पहुँच है क्योकि ओवरलोड कहके उन्हें हटाया नही जाता है 


वही दूसरी ओर 

एरोप्लेन में भीड़ नही है

बुलेट ट्रेन में भीड़ नही है

प्राइवेट बैंक में भीड़ नही है


क्योकि वहाँ हर कदम पर सर्विस चार्ज है जिसमे घुस पाना आम आदमी के बाहर है तो क्या ऐसे राष्ट्र की बनाने की कोशिस हो रही है

जहाँ आम आदमी दिखे ही न 

जहाँ उसके लिए कोई सर्विसेज ही न हो

जहाँ बेवजह सड़क पर भी चलने के लिए टैक्स अदा करना हो 

जहाँ प्राइवेट बैंक में जाने पर पैसे कटते हो

जहाँ ओवरलोड होने पर उस व्यक्ति को निकाला जाए जिसका CIBIL सबसे कम हो चाहे कितनी भी उसकी मजबूरी हो ।


सरकारी कर्मचारी ओवरलोडेड है जिस वजह से ग्राहको के काम मे देरी हो पर होता सबका काम है


प्राइवेट बैंक में बिना सर्विस चार्ज के काम नही होता इसलिए वहाँ पर ओवरलोड की समस्या नही रहती क्योकि जब भी ओवरलोड हुआ उसने ज्यादा pay करके पीछे वाले को धकेल कर बाहर कर दिया ।।


आज कोरोना कॉल में भी देश के सरकारी अस्पताल है जहाँ बेड न होने पर भी कोने में सीढ़ी के नीचे कही न कही एडजस्ट हो रहे है मरीज वही प्राइवेट अस्पताल है जहाँ बेड आपकी औकात के हिसाब से ही मिल पा रहे है और एडजस्टमेंट उनके यहाँ नही होता ।।


आज जरूरत सरकारी अस्पतालों की संख्या को बढ़ाना है और डॉक्टरों नरसों की संख्या को बढ़ाना है


उसी प्रकार सरकारी बैंको को बेचने की जगह कर्मचारियों की भर्ती करना है जिससे ओवरलोड से वो बाहर आ सके और बैंक के प्रॉफिट को बढ़ा सकें ।। 


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